टेक का बर्नआउट हमेशा धड़ाम से नहीं आता

14 अगस्त 2025
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कभी-कभी ये चुपके से आता है।

तुम फीचर्स शिप कर रहे हो, Slack का रिप्लाई दे रहे हो, फिक्स पुश कर रहे हो। फिर भी कुछ ठीक नहीं लग रहा होता। लैपटॉप खोलते हो और... कुछ फीका-सा लगता है। न तो भारी महसूस होता है। न ही तनाव। बस सुन्न-सा।

छोटी जीतों का जश्न मानना बंद कर देते हो। भूल जाते हो कि तुम किसके लिए काम कर रहे हो। ब्रेक लेते हो, पर कभी आराम नहीं मिलता। चल तो रहे हो, पर ज़िंदा महसूस नहीं करते।

इस तरह के बर्नआउट का नाम लगाना harder होता है, क्योंकि काम तो होते रहते हैं।

पर तुम धीरे-धीरे फीके पड़ रहे हो।

अगर तुम यहाँ हो, तो अकेले नहीं हो। रुको। सांस लो। बाहर निकलो। किसी ऐसे इंसान से बात करो जिसे डेडलाइन की परवाह नहीं।

अगर चाहो, मैं यहाँ हूँ।

नौकरी छोड़ने की ज़रूरत नहीं है। पर हो सकता है तुम्हें खुद से फिर जुड़ना पड़े।

Written by Minh Cung — Founder of Quiet Circles, building emotional infrastructure for modern work. Connect with Minh on LinkedIn.

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